S&P: Indian Economy Growth Rate Outperform Global Economies

S&P Global ने 12 अक्टूबर को कहा की भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जो कि अपनी घरेलू मांग पर निर्भर हैं, की विकास दर (Growth Rate) कम प्रभावित होगी। विश्व अर्थव्यवस्था की गिरती हुई वृद्धि दर और बाहरी मांग का प्रभाव इन देशों के ऊपर भी आएगा।

Insian Economy Growth Rate
Indian Economy Growth Rate

S&P’s Andrew Wood in Indian Growth Rate

S&P Global Ratings के Andrew Wood ने कहा कि भारत को इस समय दुनिया की अशांति, घटते हुए विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाता घाटा (current account deficit) से जूझना पड़ रहा है। बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और इसके कारण ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी एक जटिल स्थिति है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में है।

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“India is facing a mixture of factors that may shake its sovereign credit metrics. Amid external turbulence, its foreign exchange reserves are falling, and its current account deficit is rising. Meanwhile, the economy is battling faster inflation and tightening financial conditions both at home and globally,”

Andrew Wood, Sovereign Analyst, S&P Global Ratings sovereign analyst

S&P Decreases Growth Rate Estimates

भारत की मजबूत आर्थिक विकास दर (Growth Rate) इसके उच्च राजकोषीय घाटे और कर्ज के बोझ आपस में संतुलन कायम कर लेते हैं। दुनिया के बाज़ारों में फैली हुई अशांति से यह Growth Rate भारत को बचाती है। S&P Global ने इस साल भारत की विकास दर का 7.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 8.7 प्रतिशत थी।

Indian Forex Reserve

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल के 634 बिलियन USD से इस साल 533 बिलियन USD रह गया है। S&P ने भारत के चालू खाते के घाटे (current account deficit) का अनुमान GDP के 3 प्रतिशत का किया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1.6 प्रतिशत था।

दुनिया भर में फैली मंदी की आशंका से भारत भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। इसका असर भारत की Growth Rate पर 2023-24 में दिख सकता है। दुनिया भर में बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और उसे नियंत्रण करने के लिए सेन्ट्रल बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी भारत के लिए भी कुछ नकारात्मक प्रभाव ला सकती है।

Russia-Ukraine Military Conflict’s Effect on Word Economy

S&P Global के Jose Perez Gorozpe ने कहा कि रूस यूक्रेन में सैन्य संघर्ष के कारण यूरोप में ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के दबाव के कारण ब्याज दरों में बढ़ोतरी बहुत तेजी से करनी पड़ सकती है।

“We see a significant risk that the Russia-Ukraine military conflict drags on, exacerbating Europe’s energy crisis, while at the same time interest rates in developed markets may have to rise even more sharply than in our base case to mitigate broadening inflation pressures,”

Jose Perez Gorozpe, S&P Global Ratings Emerging Markets Head of Credit Research

Europe in Recession

इस कारण से यूरोप में मंदी का प्रकोप काफी गहरा हो सकता है। साथ ही साथ अमेरिका में बेरोजगारी जो कि अपने निम्न स्तर पर चल रही है उसमें वृद्धि हो सकती है।

“This could result in a deeper-than-expected recession in Europe and, to a lesser extent, the US, with a concomitant rise in unemployment from historically low levels,”

Jose Perez Gorozpe, S&P Global Ratings Emerging Markets Head of Credit Research

S&P Global Ratings ने कहा कि इस नकारात्मक परिदृश्य की सम्भावना बढ़ती जा रही है और हमें लगता है कि इस नकारात्मक परिदृश्य की सम्भावना 33 प्रतिशत है। हमें लगता है कि इससे यूरोप में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी और ऊर्जा की राशनिंग भी करनी पड़ सकती है।

European Banks to Follow US FED

यूरोप के सेंट्रल बैंकों को यूरो के डॉलर के सामने गिरने के कारण और अमेरिकन फेडरल रिज़र्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अपने यहाँ ब्याज दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं। ब्याज दरें बढ़ाने से यूरोप मंदी में जा सकता है। यूरोप की GDP की Growth Rate 2023 में -1.3 प्रतिशत हो सकती है। यूरोप के देशों में जर्मनी पर इस मंदी का सब से ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। USA की GDP भी 2023 में -0.3 प्रतिशत तक गिर सकती है।

Worst Emerging Economies

उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मेक्सिको जो कि लैटिन अमेरिका की एक विकासशील अर्थव्यवस्था है सब से ज्यादा प्रभावित होगी। यूरोप में पोलैंड की भी इसी प्रकार की स्थिति रह सकती है,क्योंकि वे भी एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। इस सब के पीछे भी ऊर्जा पर व्यय ही मुख्य कारण है।

S&P Global ने कहा कि, जर्मनी और UK ने पिछले कुछ हफ्तों में काफी बड़े राहत के उपाय किए हैं, जिस कारण हमारे अनुमानों में फर्क आ सकता है। क्योंकि हमारे अनुमानों में इन राहत पैकेज के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया।

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