शेयर बाजार में हर साल नए संवत की शुरुआत के उपलक्ष्य में Diwali Muhurat Trading का प्रचलन है। संवत 2079 की शुरुआत अक्टूबर 24 2022 को हो रही है। इस दिन व्यापारी अपने नए बही खाते (Account Books) लगाते हैं।
Muhurat Trading 2022: शेयर बाजार (NSE और BSE) 24 अक्टूबर 2022 को दिवाली मुहूर्त ट्रेडिंग के लिए शाम को एक घंटे के लिए खुलेंगे। BSE और NSE ने Circular जारी कर के इसकी जानकारी दी। Equity, Equity Derivative, Commodity और Currency में शाम 6:15 PM से 7:15 PM तक कारोबार होगा।
Diwali Muhurat Trading Session on Monday, October 24, 2022
Start Time
End Time
Block deal session
17:45 hrs
18:00 hrs
Pre Open
18:00 hrs
18:08 hrs
Normal Market
18:15 hrs
19:15 hrs
Call Auction Illiquid session
18:20 hrs
19:05 hrs
Closing Session
19:25 hrs
19:35 hrs
Trade Modification cut-off time
18:15 hrs
19:45 hrs
Equity Segment
Table of Timing for Currency and Equity Derivative Segment
Diwali Muhurat Trading Session on Monday, October 24, 2022
Time
Normal Market Open
18:15 hrs
Normal Market Close
19:15 hrs
Trade modification end time
19:25 hrs
Currency and Equity Derivative Segment
Table of Timing for Commodity Derivative Segment
Diwali Muhurat Trading Session on Monday, October 24, 2022
Time
Normal Market Open
18:15 hrs
Normal Market Close
19:15 hrs
Set up cut-off time for Position Limit / Collateral value
19:25 hrs
Trade modification end time
19:25 hrs
Commodity Derivative Segment
Diwali Muhurat Trading Timing
Equity Segment की शुरुआत शाम 6:00 PM से होगी। 6:00 PM से 6:08 PM तक Preopen Session रहेगा। Normal trade की शुरुआत 6:15 PM से होगी। डेरीवेटिव और इक्विटी में यह ट्रेडिंग 7:15 PM तक जारी रहेगी। हर साल दिवाली के मोके पर एक घंटे का छोटा ट्रेडिंग सेशन होता है। इसी तरह से करेंसी और कमोडिटी डेरीवेटिव का भी समय शाम 6:15 PM से 7:15 PM तक निश्चित किया गया है।
S&P Global ने 12 अक्टूबर को कहा की भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जो कि अपनी घरेलू मांग पर निर्भर हैं, की विकास दर (Growth Rate) कम प्रभावित होगी। विश्व अर्थव्यवस्था की गिरती हुई वृद्धि दर और बाहरी मांग का प्रभाव इन देशों के ऊपर भी आएगा।
S&P Global Ratings के Andrew Wood ने कहा कि भारत को इस समय दुनिया की अशांति, घटते हुए विदेशी मुद्रा भंडार और चालू खाता घाटा (current account deficit) से जूझना पड़ रहा है। बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और इसके कारण ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी एक जटिल स्थिति है। यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में है।
“India is facing a mixture of factors that may shake its sovereign credit metrics. Amid external turbulence, its foreign exchange reserves are falling, and its current account deficit is rising. Meanwhile, the economy is battling faster inflation and tightening financial conditions both at home and globally,”
Andrew Wood, Sovereign Analyst, S&P Global Ratings sovereign analyst
S&P Decreases Growth Rate Estimates
भारत की मजबूत आर्थिक विकास दर (Growth Rate) इसके उच्च राजकोषीय घाटे और कर्ज के बोझ आपस में संतुलन कायम कर लेते हैं। दुनिया के बाज़ारों में फैली हुई अशांति से यह Growth Rate भारत को बचाती है। S&P Global ने इस साल भारत की विकास दर का 7.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 8.7 प्रतिशत थी।
Indian Forex Reserve
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल के 634 बिलियन USD से इस साल 533 बिलियन USD रह गया है। S&P ने भारत के चालू खाते के घाटे (current account deficit) का अनुमान GDP के 3 प्रतिशत का किया है, जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1.6 प्रतिशत था।
दुनिया भर में फैली मंदी की आशंका से भारत भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। इसका असर भारत की Growth Rate पर 2023-24 में दिख सकता है। दुनिया भर में बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और उसे नियंत्रण करने के लिए सेन्ट्रल बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी भारत के लिए भी कुछ नकारात्मक प्रभाव ला सकती है।
Russia-Ukraine Military Conflict’s Effect on Word Economy
S&P Global के Jose Perez Gorozpe ने कहा कि रूस यूक्रेन में सैन्य संघर्ष के कारण यूरोप में ऊर्जा संकट बढ़ता जा रहा है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ती हुई मुद्रास्फीति के दबाव के कारण ब्याज दरों में बढ़ोतरी बहुत तेजी से करनी पड़ सकती है।
“We see a significant risk that the Russia-Ukraine military conflict drags on, exacerbating Europe’s energy crisis, while at the same time interest rates in developed markets may have to rise even more sharply than in our base case to mitigate broadening inflation pressures,”
Jose Perez Gorozpe, S&P Global Ratings Emerging Markets Head of Credit Research
Europe in Recession
इस कारण से यूरोप में मंदी का प्रकोप काफी गहरा हो सकता है। साथ ही साथ अमेरिका में बेरोजगारी जो कि अपने निम्न स्तर पर चल रही है उसमें वृद्धि हो सकती है।
“This could result in a deeper-than-expected recession in Europe and, to a lesser extent, the US, with a concomitant rise in unemployment from historically low levels,”
Jose Perez Gorozpe, S&P Global Ratings Emerging Markets Head of Credit Research
S&P Global Ratings ने कहा कि इस नकारात्मक परिदृश्य की सम्भावना बढ़ती जा रही है और हमें लगता है कि इस नकारात्मक परिदृश्य की सम्भावना 33 प्रतिशत है। हमें लगता है कि इससे यूरोप में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी और ऊर्जा की राशनिंग भी करनी पड़ सकती है।
European Banks to Follow US FED
यूरोप के सेंट्रल बैंकों को यूरो के डॉलर के सामने गिरने के कारण और अमेरिकन फेडरल रिज़र्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण अपने यहाँ ब्याज दरें बढ़ानी पड़ सकती हैं। ब्याज दरें बढ़ाने से यूरोप मंदी में जा सकता है। यूरोप की GDP की Growth Rate 2023 में -1.3 प्रतिशत हो सकती है। यूरोप के देशों में जर्मनी पर इस मंदी का सब से ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। USA की GDP भी 2023 में -0.3 प्रतिशत तक गिर सकती है।
Worst Emerging Economies
उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मेक्सिको जो कि लैटिन अमेरिका की एक विकासशील अर्थव्यवस्था है सब से ज्यादा प्रभावित होगी। यूरोप में पोलैंड की भी इसी प्रकार की स्थिति रह सकती है,क्योंकि वे भी एक विकासशील अर्थव्यवस्था है। इस सब के पीछे भी ऊर्जा पर व्यय ही मुख्य कारण है।
S&P Global ने कहा कि, जर्मनी और UK ने पिछले कुछ हफ्तों में काफी बड़े राहत के उपाय किए हैं, जिस कारण हमारे अनुमानों में फर्क आ सकता है। क्योंकि हमारे अनुमानों में इन राहत पैकेज के प्रभाव को शामिल नहीं किया गया।